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मेरा पानी मेरी विरासत

धान की खेती छोड़ने वाले किसानों को ₹2000  देगी हरियाणा सरकार

धान की खेती छोड़ने वाले किसानों को ₹2000  देगी हरियाणा सरकार

हरियाणा के कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री संजीव कौशल ने बताया कि ‘मेरा पानी मेरी विरासत’ योजना के तहत किसानों के बैंक खातों में जल्द ही 2,000 रूपए प्रति एकड़ के हिसाब से पहली किस्त जमा कर दी जाएगी। पहली किस्त के रूप में सरकार की ओर से कुल 21 लाख रूपए दिए जाएंगे। यह राशि राज्य के 17 जिलों में खरीफ-2020 के दौरान फसल विविधिकरण योजना के अनुसार धान को छोडकऱ कपास की फसल की बुआई करने वाले किसानों को दी जाएगी। उन्होंने बताया कि विभाग के अधिकारियों द्वारा भौतिक सत्यापन प्रक्रिया पूरी करने के बाद ‘प्रत्यक्ष लाभ स्थानांतरण मोड’ के माध्यम से किसानों को किस्त का भुगतान किया जाएगा। सिरसा, फतेहाबाद, जींद, हिसार, कैथल, झज्जर, भिवानी, चरखी दादरी, सोनीपत, रोहतक, फरीदाबाद, पलवल, रेवाड़ी, मेवात, गुरूग्राम, पानीपत और करनाल जिला में कुल 20,420 हेक्टेयर में धान को छोडकऱ कपास की बुआई करना प्रमाणित हुआ है।

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श्री कौशल ने बताया कि इस योजना के तहत सिरसा जिला के कपास उत्पादक सबसे अधिक लाभार्थी होंगे। इस जिला में 4,523 हेक्टेयर में नकदी फसल बोने वाले किसानों को 26 करोड़ रूपए वितरित किए जाएंगे। फतेहाबाद जिला के किसानों को 3,966 हेक्टेयर भूमि के लिए 1.98 करोड़ तथा जींद जिला के किसानों को 3,945 हेक्टेयर भूमि में धान की जगह कपास की बुआई करने पर 1.97 करोड़ रूपए मिलेंगे।   उन्होंने बताया कि राज्य में भूजल संरक्षण करने की दिशा में ‘मेरा पानी मेरी विरासत’ योजना को लागू किया गया है। हरियाणा सरकार द्वारा 40 मीटर से नीचे पहुंचे भूजल स्तर से प्रभावित खंड रतिया (जिला फतेहाबाद), सिवान और गुहला (जिला कैथल), पिपली, शाहाबाद, बबैन और इस्माईलाबाद (जिला कुरुक्षेत्र) और ब्लॉक सिरसा (जिला सिरसा) के किसानों को धान की जगह कम पानी से पकने वाली मक्का, बाजरा, कपास, दलहन और बागवानी फसलें बोने के लिए प्रोत्साहित किया गया। इस योजना के तहत राज्य सरकार द्वारा 7,000 रूपए प्रति एकड़ देने का वादा किया गया, जिसमें 2,000 रूपए की पहली किस्त फसल के सत्यापन के बाद और शेष 5,000 रूपए फसल की पकाई के समय देने हैं। Dhan ki kheti अतिरिक्त मुख्य सचिव ने यह भी बताया कि राज्य सरकार द्वारा यह भी सुविधा दी गई है कि जिन किसानों ने धान के स्थान पर अन्य वैकल्पिक फसल मक्का, बाजरा, दाल आदि की बुआई की है,उन फसलों की खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर की जाएगी। उन्होंने बताया कि ग्राम पंचायतों को निर्देश दिए गए हैं कि वे अपने स्वामित्व वाली कृषि भूमि में धान उगाने की अनुमति नहीं देंगी और धान की जगह अन्य वैकल्पिक फसलें बोने से होने वाली आमदनी संबंधित पंचायतों को ही दी जाएगी। उन्होंने जानकारी दी कि मक्का की नमी को सुखाने के लिए अनाज मंडियों में मक्का-ड्रायर भी लगाए जाएंगे। श्री संजीव कौशल ने एक अन्य जानकारी सांझा करते हुए बताया कि वैकल्पिक फसलों में ड्रिप सिंचाई करने के लिए किसानों को सिस्टम-खरीद पर 85 प्रतिशत अनुदान भी प्रदान किया जाएगा। विभाग द्वारा अपनी योजनाओं और कस्टम हायरिंग सेंटर्स के माध्यम से धान के विविधीकरण के लिए लक्षित खंडों में मक्का की बुवाई के लिए वायवीय या सामान्य मक्का बीज बोने की मशीन प्रदान की जाएगी। उन्होंने बताया कि लक्षित खंडों में 41 प्रदर्शन-प्लॉट स्थापित किए गए हैं ताकि किसानों को यहां पर सर्वोत्तम कृषि पद्धति दिखाकर अच्छी पैदावार लेने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके। उन्होंने बताया कि किसानों को ‘फसल विविधिकरण योजना’ के प्रति जागरूक करने के लिए क्षेत्र में आईईसी (सूचना, शिक्षा और संचार) गतिविधियों के माध्यम से जानकारी प्रदान की जाएगी। किसानों की सुविधा के लिए एक वेब-पोर्टल भी शुरू किया गया है।
हरियाणा सरकार कम पानी वाली फसलें लगाने वाले किसानों को दे रही है ₹7000 एकड़ का अनुदान

हरियाणा सरकार कम पानी वाली फसलें लगाने वाले किसानों को दे रही है ₹7000 एकड़ का अनुदान

हरियाणा सरकार की गिरते भूगर्भ जल स्तर को रोकने की पहल काम आ रही है। सरकार ने कम पानी वाली फसलें लगाने वाले किसानों को ₹7000 एकड़ के अनुदान की व्यवस्था की है। सरकार की पहल आशातीत परिणाम सामने आए हैं। सरकार ने इस योजना का नाम ‘मेरा पानी मेरी विरासत’ दिया है। इच्छुक किसान इस योजना का लाभ लेने के लिए आगामी 25 जून 2021 तक पंजीकरण करवा सकते हैं।

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हरियाणा सरकार भूमिगत जल स्तर में गिरावट को लेकर सतर्क, अनुदान भी दिया जा रहा है सरकारी विज्ञप्ति के अनुसार इस योजना के तहत मक्का, कपास, खरीफ तिलहन, खरीफ दालें, चारा वाली फसलें एवं बागवानी की फसलों को गत वर्ष के धान के खेतों में उगाने पर सात हजार रुपए प्रति एकड़ का अनुदान देने का प्रावधान किया है, जिसके लिए संबंधित किसान अपने क्षेत्र के खंड कृषि अधिकारी कार्यालय में संपर्क करके स्कीम में अपने आपको पंजीकृत करवाकर जल संरक्षण में महत्वपूर्ण योगदान देते हुए आने वाली पीढिय़ों के लिए पानी का संचय कर सकते हैं। विदित हो एक किलोग्राम चावल करीब 4000 लीटर पानी में तैयार होता है, जिसकी कीमत बाजार में ₹25 भी किसान को नहीं मिलती। पानी की खपत और चावल की कीमत की तुलना करने से यह बात सामने आती है कि किसानों को ज्यादा पानी वाली एवं पर्याप्त रूप से उपलब्ध फसलों को नहीं उगाना चाहिए। कम पानी वाली और ज्यादा मांग वाली फसलें उगाने से ज्यादा लाभ होता है।
हरियाणा फसल विविधीकरण योजना के लिए लक्ष्य निर्धारित

हरियाणा फसल विविधीकरण योजना के लिए लक्ष्य निर्धारित

भूजल स्तर में गिरावट का निदान

धान छोड़ने वाले किसान का सम्मान

फसल विविधता के लिए लक्ष्य निर्धारित

हरियाणा प्रदेश सरकार ने राज्य में क्रॉप डायवर्सिफिकेशन (Crop Diversification) यानी फसल विविधीकरण के लिए हरियाणा फसल विविधीकरण योजना (मेरा पानी मेरी विरासत - Mera Pani Meri Virasat) शुरू की है। हरियाणा क्रॉप डायवर्सिफिकेशन स्कीम (Haryana Crop Diversification Scheme) अर्थात हरियाणा फसल विविधीकरण योजना के तहत, धान की पारंपरिक फसल छोड़ने वाले किसानों को सरकार द्वारा प्रोत्साहित किया जाएगा।
हरियाणा फसल विविधीकरण योजना के सरकारी दस्तावेज (अंग्रेजी में) पढ़ने या पीडीऍफ़ डाउनलोड के लिए, यहां क्लिक करें
इस स्कीम के तहत धान जैसी पारंपरिक फसल त्यागने का निर्णय लेने वाले किसानों को प्रति एकड़ 7 हजार रुपये की राशि बतौर प्रोत्साहन प्रदान की जाती है। राज्य सरकार मक्का उगाने वाले किसानों को 2400 रुपये प्रति एकड़ और दलहन (मूंग, उड़द, अरहर) की पैदावार करने वाले कृषकों को 3600 रुपये प्रति एकड़ के मान से अनुदान राशि प्रदान करती है।


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आपको बता दें हरियाणा सरकार की ओर से फसल विविधीकरण स्कीम (Haryana Crop Diversification Scheme) के तहत यह प्रोत्साहन राशि किसान को सिर्फ 5 एकड़ की कृषि भूमि के लिए ही प्रदान की जाती है। राज्य सरकार द्वारा साल 2022 के लिए निर्धारित लक्ष्य के अनुसार प्रदेश की 50 हज़ार एकड़ कृषि भूम पर योजना का लाभ प्रदान किया जाएगा।

स्कीम का कारण

हरियाणा प्रदेश में किसानों द्वारा एक सी फसल उगाने के कारण खेतों की पैदावार क्षमता प्रभावित हो रही है। एक जैसे रसायनों एवं कीटनाशकों के सालों से हो रहे प्रयोग के कारण कृषि भूमि की उर्वरता भी खतरे में है। साथ ही राज्य में भूजल स्तर में भी गिरावट देखी जा रही है।


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इन सभी समस्याओं के मूलभूत उपचार फसल विविधीकरण के तरीके को अपनाते हुए सरकार ने हरियाणा फसल विविधीकरण स्कीम को बतौर प्रोत्साहन राज्य में लागू किया है।

फसल बदलने प्रोत्साहन

फसल विविधीकरण स्कीम में सालों से चली आ रही एक सी फसल उगाने की परंपरा के बजाए किसानों को बदल-बदल कर कृषि भूमि, पर्यावरण एवं मानव स्वास्थ्य उपयोगी फसल उगाने के लिए प्रेरित किया जाता है। इस योजना के जरिए प्रदेश में धान की खेती के बजाए दूसरी खेती फसल अपनाने वाले किसानों को प्रोत्साहन राशि प्रदान की जाती है।

अनुदान का प्रबंध

अन्य फसलों जैसे कपास, मक्का, दलहन, ज्वार, अरंडी, मूंगफली, सब्जी एवं फल आदि की किसानी करने वाले किसानों को अनुदान राशि भी प्रदेश में प्रदान की जा रही है।

योजना का उद्देश्य

हरियाणा प्रदेश सरकार ने हरियाणा फसल विविधीकरण योजना को लागू करने का निर्णय, राज्य में भूजल की बढ़ती परेशानी के निदान के लिए लिया है। धान की खेती में बहुत मात्रा में पानी की जरूरत होती है। मूल तौर पर धान की किसानी की वजह से प्रदेश के भूजल स्तर में चिंतनीय गिरावट देखी गई है।


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इस समस्या के प्राकृतिक समाधान के तहत प्रदेश में फसल विविधीकरण के लक्ष्य को निर्धारित किया गया है। क्रॉप डायवर्सिफिकेशन स्कीम से प्रदेश में अन्य फसलों की खेती तरीकों में भी वृद्धि होगी। इससे भूजल गिरावट की समस्या का भी समाधान हो सकेगा

चावल पीता है पानी

कृषि अनुसंधान के अनुसार 1 किलोग्राम चावल की पैदावार के लिए औसतन 300 लीटर पानी लगता है। इस खपत को नियंत्रित करने के लिए हरियाणा सरकार ने फसल विविधीकरण के लक्ष्य पर काम करना शुरू किया है, ताकि घट रहे भूजलस्तर की समस्या का समय रहते प्राकृतिक तरीके से समाधान किया जा सके।

अंतिम तारीख 31 अगस्त

हरियाणा फसल विविधीकरण योजना 2022 के तहत योजना संबंधी आवेदन जमा करने की प्रदेश सरकार ने अंतिम समय सीमा 31 अगस्त 2022 तय की है। इसके लिए आवेदक को आधार कार्ड क्रमांक से संबद्ध बैंक खाता संबंधी जानकारी आवेदन पत्र में दर्शानी होगी। योजना के पात्र हितग्राही आवेदक को राज्य सरकार की ओर से दी जाने वाली प्रोत्साहन धन राशि उसके बैंक खाते में जमा की जाएगी।

कृषि यंत्र अनुदान

हरियाणा फसल विविधीकरण योजना (Haryana Crop Diversification Scheme) के जरिये सरकार द्वारा किसानों को कृषि यंत्र खरीदने के लिए अनुदान भी प्रदान किया जाएगा।

योजना इनके लिए है

हरियाणा फसल विविधीकरण योजना का लाभ प्रदेश के निवासी को ही प्रदान किया जाएगा। योजना के अनुसार कृषक को पिछले वर्ष की तुलना में धान के रकबे के कम से कम 50% हिस्से में दूसरी फसलों की पैदावार करना होगी।


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इसके अलावा बैंक खाता, आधार कार्ड, निवास प्रमाण पत्र, कृषि योग्य भूमि संबंधी दस्तावेज, पहचान पत्र, मोबाइल नंबर, बैंक खाता विवरण,

पासपोर्ट साइज फोटो भी आवेदक को योजना के लिए दर्शाना होगी।

हरियाणा फसल विविधीकरण योजना के अंतर्गत रजिस्ट्रेशन कराने के लिए कृषक मित्र, कृषि एवं किसान कल्याण विभाग हरियाणा की आधिकारिक वेबसाइट पर पंजीकरण करा सकते हैं।
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भूमंडलीकरण के दौर में जलवायु परिवर्तन एवं उससे होने वाले नुकसान आधुनिक युग में एक बड़ी समस्या बनते जा रहे हैं, जिसके कारण सामान्य जनजीवन से लेकर खेती किसानी तक हर कुछ बेहद नकारात्मक रूप से प्रभावित हो रहा है। इसका एक कारण यह भी है कि आजकल तीव्र जलवायु परिवर्तन के साथ एक ही फसल को बार-बार लेने से खेतों की उर्वरा शक्ति बेहद कमजोर होती जा रही है, जिसके कारण खेती में उत्पादन कम होता जा रहा है और लागत एवं आय में फासला बेहद चौड़ा होता जा रहा है। इस समस्या का समाधान करने के लिए और समस्या से पूरी तरह से निपटने के लिए सरकारें समय-समय पर नई योजनाएं लाती रहती हैं। सरकार ने इसके लिए एक कमेटी भी गठित की है जो इस प्रकार की समस्याओं पर सुझाव देती है, ताकि इन समस्याओं से निपटने के लिए सरकार नई योजनाएं लागू कर सके।


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हरियाणा सरकार इस प्रकार की समस्याओं से निपटने के लिए एक नई स्कीम लेकर आई है जिसके अंर्तगत 'फसल विविधीकरण' (जिसे हम 'क्रॉप डायवर्सिफिकेशन' (Crop Diversification) के नाम से भी जानते हैं) के लिए राज्य सरकार 7,000 रुपये प्रति एकड़ की सरकारी सहायता मुहैया करवाती है। हरियाणा सरकार ऐसा इसलिए कर रही है क्योंकि सूबे में धान की खेती करने वाले किसानों की संख्या काफी है। इसलिए हरियाणा सरकार फसल विविधीकरण के नाम पर धान की खेती छोड़ने वाले किसानों को 7,000 रुपये प्रति एकड़ की दर से मुआवजा देने जा रही है। यह सहायता राशि उन किसानों को दी जाएगी जो अपने खेतों में नियमित रूप से धान की खेती करते हैं और पानी बचाने के लिए धान की खेती की जगह दूसरी खेती करना चाहते हैं या जमीन को खाली छोड़ना चाहते हैं। इस स्कीम में अप्लाई करने की आखिरी तारीख 31 अगस्त है। इसलिए किसान भाइयों के लिए यह अच्छा मौका है कि वो 31 अगस्त के पहले हरियाणा राज्य की कृषि विभाग की वेबसाइट पर आवेदन कर दें या फिर जिला कृषि अधिकारी से संपर्क करें। इस योजना में आवेदन करने के लिए मात्र 1 दिन शेष हैं। 31 अगस्त के पहले आवेदन करने वाले किसानों को 7,000 रुपये प्रति एकड़ की सरकारी सहायता मुहैया करवाई जाएगी। इसके बाद आने वाले आवेदनों पर विचार नहीं किया जाएगा।

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यह योजना क्यों शुरु की गई ?

राज्य के कई क्षेत्रों में घटते हुए जलस्तर के कारण सरकार ने 'मेरा पानी मेरी विरासत' (Mera Pani Meri Virasat) योजना को शुरू करने का निर्णय लिया है, क्योंकि कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार एक किलो चावल के उत्पादन में करीब 3000 लीटर पानी की जरुरत होती है। इसलिए इस योजना के तहत, यदि कोई किसान नियमित रूप से धान की खेती करने वाला किसान है और वह इस खेती को छोड़कर खेत खाली छोड़ना चाहता है, तो सरकार किसान को 7,000 रुपये प्रति एकड़ की सहायता राशि मुहैया करवाएगी। हरियाणा सरकार की ओर से फसल विविधीकरण स्कीम योजना का पूरा सरकारी दस्तावेज पढ़ने या पीडीऍफ़ डाउनलोड के लिए, यहां क्लिक करें सरकार इस पर पूरा जोर लगा रही है ताकि किसान ज्यादा पानी की खपत वाली खेती को छोड़ दें, जिससे आने वाली पीढ़ियां भी उस जमीन पर खेती कर सकें, क्योंकि बिना पानी और जमीन में बगैर नमी के खेती संभव नहीं है। अभी तक हरियाणा के ज्यादातर क्षेत्रों में भूमिगत जल का स्तर 100 मीटर से भी नीचे चला गया है। इसके साथ ही राज्य के 142 ब्लॉकों में से 85 ब्लॉक डार्क जोन घोषित कर दिए गए हैं। इसलिए सरकार की यह कोशिश है कि जहां पानी की कमी हो रही है, वहां अब फसल विविधीकरण शुरू कर देना चाहिए।


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इस योजना में किन किन ब्लाकों को किया गया है सम्मिलित ? इस योजना में अब तक राज्य के 19 ब्लाकों को सम्मिलित किया गया है, जिनमें धान की रोपाई बेहद ज्यादा है और भूजल स्तर तेजी से गिर रहा है। इन ब्लाकों में फतेहाबाद में रतिया, कुरुक्षेत्र में शाहाबाद, इस्माइलाबाद, पिपली और बबैन, कैथल के सीवन और गुहला तथा सिरसा प्रमुख हैं। मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा है कि जिस ब्लॉक में भूमिगत जल का स्तर 35 मीटर से नीचे है उस ब्लॉक की पंचायतों को धान की खेती की अनुमति नहीं दी जाएगी। इसकी जगह पर मुख्यमंत्री ने किसानों से अन्य फसलें जैसे कि मक्का, अरहर, मूंग, उड़द, तिल, कपास, सब्जी की खेती करने का अनुरोध किया है। इसके साथ ही यह योजना उन ब्लाकों में भी लागू की जाएगी जहां खेती में 50 हार्स पावर से अधिक क्षमता वाले ट्यूबवेल का उपयोग हो रहा है।


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राज्य में अभी तक कितने लोगों ने छोड़ी है धान की खेती ?

हरियाणा सरकार एक द्वारा चालै गई स्कीम 'मेरा पानी मेरी विरासत' से प्रभावित होकर अभी तक लगभग 1.14 लाख एकड़ से अधिक क्षेत्र में किसानों ने धान की खेती करना बंद कर दी है। इसके अलावा राज्य में में जलवायु परिवर्तन और घटता हुआ जलस्तर अन्य समस्या है जिससे स्वतः ही किसानों ने इस खेती से किनारा कर लिया है। राज्य सरकार द्वारा चलाई गई 'मेरा पानी मेरी विरासत' योजना में अब तक 74 हजार से अधिक किसान लाभप्रद हुए हैं। इन किसानों ने ज्यादा पानी वाली फसलों को त्यागकर कम पानी वाली फसलें अपने खेतों में उपजायी हैं। इस योजना के तहत राज्य भर के किसानों ने अब तक 76 करोड़ रूपये की प्रोत्साहन राशि सीधे अपने बैंक खातों में प्राप्त की है। इस तरह से राज्य के किसानों की कोशिश है कि इस खेती को अब छोड़ दिया जाए और अब धीरे-धीरे किसान धान की खेती से किनारा करते जा रहे हैं।

कितने किसानों ने किया है अभी तक आवेदन ?

अभी तक इस योजना के अंतर्गत 800 किसान आवेदन कर चुके हैं। मेरी खेती मेरी विरासत योजना का लाभ लेकर किसान धान की फसल को त्यागना चाहते हैं। क्योंकि इस फसल में अत्यधिक मात्रा में पानी का उपयोग किया जाता है। 800 आवेदनों का मतलब एक बड़ी कृषि भूमि में इस साल धान की खेती नहीं की जाएगी। धान को छोड़कर किसाओं द्वारा इन खेतों में मक्का,सब्जियां, कपास, उड़द और टिल की खेती किये जाने की संभावना है। पिछले साल लगभग 20,000 एकड़ में धान की बुआई की गई थी। जिससे इस साल सरकार रोकना चाहती है ताकि गिरते हुए भूमिगत जल के स्तर को बचाया जा सके।
इस राज्य में बागवानी फसलों को प्रोत्साहन देने के लिए अनुदान दिया जा रहा है

इस राज्य में बागवानी फसलों को प्रोत्साहन देने के लिए अनुदान दिया जा रहा है

हरियाणा सरकार अपने स्तर से किसानों को लुभाने के लिए दिनों-दिन किसी नई सब्सिडी का ऐलान कर रही है। वर्तमान में फल व सब्जी की खेती पर किसानों को बड़ी सब्सिड़ी मिलेगी। बतादें, कि एक ओर हरियाणा में सूरजमुखी को भावांतर भरपाई योजना से बाहर निकालने की मांग को लेकर सड़कों पर आंदोलन जारी है। तो उधर, दूसरी ओर सरकार अन्नदाताओं को अपनी सब्सिडी के जरिए लुभाने का भरपूर प्रयास कर रही है। विरोध प्रदर्शन के मध्य किसानों के लिए अच्छी खबर सामने आई है। दरअसल, हरियाणा राज्य सरकार ने फल व सब्जी की खेती पर अच्छा-खासा अनुदान देने की घोषणा करदी है। चलिए जानते हैं, कि किसानों को कहां और कितना अनुदान मिलेगा।

बागवानी फसलों को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहन दिया जा रहा है

हरियाणा में किसान भावांतर योजना से सूरजमुखी को बाहर निकालने के लिए प्रदर्शन कर रहे हैं। इसी कड़ी में हरियाणा सरकार ने किसानों को अनुदान देने का ऐलान किया है। इसका अर्थ है, कि हरियाणा सरकार किसानों को फल व सब्जी की खेती पर अच्छा-खासा अनुदान प्रदान कर रही है। दरअसल, बागवानी को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से इस तरह का ऐलान किया गया है। बतादें, कि हरियाणा में जल का काफी अभाव है। जिसके चलते किसानों को प्रतिवर्ष धान-गेहूं की खेती में काफी बड़ी हानि वहन करनी पड़ती है। अब ऐसी स्थिति में सरकार ऐसी फसलों को प्रोत्साहन दे रही है, जिसमें जल की कम खपत है। हरियाणा सरकार विगत दिनों से कई सारी महत्वपूर्ण योजनाओं के तहत किसानों को हर संभव अनुदान प्रदान करने में जुटी हुई है।

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हरियाणा सरकार कितना अनुदान प्रदान कर रही है

हरियाणा सरकार में बागवानी विभाग की तरफ से 'मेरा पानी मेरी विरासत' नाम से एक योजना चलाई जा रही है। इसके अंतर्गत कृषकों को कम लागत में अधिक मुनाफा देने वाली खेती के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। जो किसान भाई ऐसा कर रहे हैं, उनको प्रोत्साहन धनराशि भी प्रदान की जा रही है। हरियाणा सरकार प्रदेश के किसानों में पॉलीहाउस की स्थापना करने के लिए 65 प्रतिशत अनुदान प्रदान कर रही है। इस पोली हाउस के अंतर्गत कम खाद और कम पानी के साथ किसी भी फल व सब्जियों की बड़े पैमान पर पैदावार की जा सकती है। पॉलीहाउस की यह भी विशेषता है, कि इसमें किसी भी मौसम में कोई भी सब्जी उत्पादित की जा सकती है। इस अनुदान का फायदा उठाने के लिए किसान भाई अपने समीपवर्ती बागवानी विभाग केंद्र से संपर्क साधें।